Sunday, May 9, 2010

~ माँ मितै बडुलि लगदी ~

~ माँ मितै बडुलि लगदी ~

जब जब मितै याद तेरी औंदि माँ,
तब तब मितै बडुलि भी लगदी माँ।

तू भी माँ मितै याद करणि होली,
रूणी कथका तेरी जिकुडी होलि।
आंखि तेरि भी माँ रुझणि होलि,
बडुलि त्वै ते भी लगणि होली।

तेरी आंख्यू न सदा खुशी देखि मेरी,
आज वू आंख्यू मा पाणी च तेरी|
मन मा तेरो कुलबुलाट मच्यू होलू,
जिकुडी तेरी सुगबुगहाट करणी होली।

दूधा-भत्ति अर जू बोली मीतै खिलायी,
दुधि बाली गै कन तीन मीतै सुलायी।
कन हूंदो च सुख यू भी तीन नी जाणी|
बस हर दुख म्यार तीन अप्णु जाणी।

कथुका बगत नज़र तीन मेरि उतारी,
अफु भुखि रेकन पुटगि तीन मेरि भ्वारी।
कुशल रंवा हम वाकुण ब्रत तीना धारी,
उम्र तीना घर बणान मा काटी सारी

,
त्यार आंचल मा छुप्य़ू च ब्रह्मांड इन बुदिन,
त्यार हथ सदनि आश्रीवाद कुण ही उठिन।
तेरी खुशियूँ की खातिर करी मीन नौकरी,
निभाणू छौ अब बाल-बच्चो की जिम्मेदारी।

रूणि नी रेई तू तख मेरी माँ,
छौ कुशल मंगल मी इख माँ।
करदू प्रार्थना हथ जोडी मेरी माँ,
राजी खुशी रैई तू तख मेरी माँ।

ओलु छुट्टी दर्शन त्यार मी करलू,
त्यार हथ क स्वाद फिर मी च्खलू।
जख बुललि उख त्वैते मी घुमोलु,
तेरी सुणलु अर अपणी मी सुणोलु।

कनु हूंद भगवान मिल नी जानि,
तु ही छै सब कुछ यू मीन मानि।
मीन भगवान सदेनि त्वैमा देखि,
यां से अगनै मी नी सकदू लेखि।

जब जब मितै याद तेरी औंदि माँ,
तब तब मितै बडुलि भी लगदी माँ।

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