Tuesday, October 26, 2010

उत्तराखण्ड (पूर्व नाम उत्तराञ्चल),























उत्तराखण्ड (पूर्व नाम उत्तराञ्चल), उत्तर
भारत में स्थित एक राज्य है जिसका निर्माण नवंबर २००० को कई वर्षों के
आन्दोलन के पश्चात भारत गणराज्य के सत्ताइसवें राज्य के रूप में किया गया
था। सन २०००२००६ तक यह उत्तराञ्चल के नाम से जाना जाता था। जनवरी २००७ में
स्थानीय लोगों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए राज्य का आधिकारिक नाम
...बदलकर उत्तराखण्ड कर दिया गया। राज्य की सीमाएँ उत्तर में तिब्बत और पूर्व
में नेपाल से लगी हैं। पश्चिम में हिमाचल प्रदेश और दक्षिण में उत्तर
प्रदेश इसकी सीमा से लगे राज्य हैं। सन २००० में अपने गठन से पूर्व यह
उत्तर प्रदेश का एक भाग था। पारम्परिक हिन्दू ग्रन्थों और प्राचीन साहित्य
में इस क्षेत्र का उल्लेख उत्तराखण्ड के रूप में किया गया है। हिन्दी और
संस्कृत गंगा और यमुना के उद्गम स्थल क्रमशः गंगोत्री और यमुनोत्री तथा
इनके तटों पर बसे वैदिक संस्कृति के कई महत्त्वपूर्ण तीर्थस्थान हैं। से में उत्तराखण्ड का अर्थ उत्तरी क्षेत्र या भाग होता है। राज्य में हिन्दू धर्म की पवित्रतम और भारत की सबसे बड़ी नदियों

देहरादून, उत्तराखण्ड की अन्तरिम राजधानी होने के साथ इस राज्य का सबसे बड़ा नगर है। गैरसैण
नामक एक छोटे से कस्बे को इसकी भौगोलिक स्थिति को देखते हुए भविष्य की
राजधानी के रूप में प्रस्तावित किया गया है किन्तु विवादों और संसाधनों के
अभाव के चलते अभी भी देहरादून अस्थाई राजधानी बना हुआ है। राज्य का उच्च न्यायालय नैनीताल में है।
राज्य सरकार ने हाल ही में हस्तशिल्प और हथकरघा उद्योगों को
बढ़ावा देने के लिये कुछ पहल की हैं। साथ ही बढ़ते पर्यटन व्यापार
तथा उच्च तकनीकी वाले उद्योगों को प्रोत्साहन देने के लिए आकर्षक कर
योजनायें प्रस्तुत की हैं। राज्य में कुछ विवादास्पद किन्तु वृहत बांध
परियोजनाएँ भी हैं जिनकी पूरे देश में कई बार आलोचनायें भी की जाती रही
हैं, जिनमें विशेष है भागीरथी-भीलांगना नदियों पर बनने वाली टिहरी बाँध
परियोजना। इस परियोजना की कल्पना १९५३ मे की गई थी और यह अन्ततः २००७ में
बनकर तैयार हुआ। उत्तराखण्ड, चिपको आन्दोलन के जन्मस्थान के नाम से भी जाना
जाता है।

Friday, October 8, 2010

उत्तराखंड मा टिहेरी गढ़वाल जय चक्रबंदनी जोग माया खप्परभरनी


जय चक्रबंदनी जोग माया खप्परभरनी

जय चक्रबंदनी जोग माया खप्परभरनी
तू ही चामुंडा शैलपुत्री नंदा इंगला पिंगला दैत्याधाविनी
महानारी चंद्रघंटिका महाकालरात्रि कालीमाता
जब देवतों को अत्यचार हुए तब त्येर माता को जन्म हुए
राज राजेश्वरी गोरजा भवानी चमन्कोट चामुंडा
श्री शक्लेश्वर कार्तिकेय श्री देवी दैन्य संघारे
श्री गणेशाय नमः जाए नमः उद्हारिणी पिंगला महेश्वरी
महेश्वरी दैत्यधाऊ गेमन मिचाऊ तब त्वे देवी कै जाप सुनाऊ
जय हो नंदा देवी तेरी जय बोला
गढ़ कुमो की माता मेरी जय बोला
जय हो नंदा देवी तेरी जय बोला
गढ़ कुमो की माता मेरी जय बोला
जय बोला तेरी जय बोला
जय बोला तेरी जय बोला
बल गढ़ कुमो की माता मेरी जय बोला
गढ़ कुमो की माता मेरी जय बोला
जय हो नंदा देवी तेरी जय बोला
गढ़ कुमो की माता मेरी जय बोला
बेली बधान माता बल तेरा मैती होला
बेली बधान माता बल तेरा मैती होला
मल बधान जालू माँ नंदा जी को डोला
शिव कैलाश जालू माँ नंदा जी का डोला
सिद्धपीठ नौटी से चले राज जात
त्येर मैतार नौटी से चले राज जात
नन्द केसरी में हौला गढ़ कुमो का साथ
नन्द केसरी में हौला गढ़ कुमो का साथ
जय हो नंदा देवी तेरी जय बोला
गढ़ कुमो की माता मेरी जय बोला
वर्षा पुजा हूनी वैदिनी का ताल
वर्षा पुजा हूनी वैदिनी का ताल
देख तेरा हाथून हवे राज्ञसू को काल
देख तेरा हाथून हवे राज्ञसू को काल
बारहू साल में त्येर चौसीघा हवे खांडू
बारहू साल में त्येर चौसीघा हवे खांडू
बान गो माँ भाई त्येरु देवता रे दुलातु
बान गो माँ भाई त्येरु देवता रे दुलातु
जय हो नंदा देवी तेरी जय बोला
गढ़ कुमो की माता मेरी जय बोला
रजा कनकपाल न चंदपुरान बती
रजा कनकपाल न चंदपुरान बती
कन्नोज का राजा छाणी दैज देन भेटी
कन्नोज का राजा छाणी दैज देन भेटी
१ बार ऊ भी बल माला खून ग्येन
१ बार ऊ भी बल माला खून ग्येन
अरे येन भग्यान हवेन नि घर बोडी एइन
अरे येन भग्यान हवेन नि घर बोडी एइन
जय हो नंदा देवी तेरी जय बोला
गढ़ कुमो की माता मेरी जय बोला
अध बाटा मलानी कुपुत्र हून ल्हेगे
अध बाटा मलानी कुपुत्र हून ल्हेगे
नर संहार ह्वेगे माता कुचील हवे गे
नर संहार ह्वेगे माता कुचील हवे गे
तब से नार का कालू न बनी रूप कुंद
तब से नार का कालू न बनी रूप कुंद
माँ कु श्राप ल्हेगे बची अस्थि और मुंड
माँ कु श्राप ल्हेगे बची अस्थि और मुंड
जय हो नंदा देवी तेरी जय बोला
गढ़ कुमो की माता मेरी जय बोला
भद्रेस्वर निस्मा चा कडू रो को धाम
भद्रेस्वर निस्मा चा कडू रो को धाम
६ मेहना बवून ६ दसौली का नाम
६ मेहना बवून ६ दसौली का नाम
पडो हो नंदा कु बल पैलू कुल सारी माँ
पडो हो नंदा कु बल पैलू कुल सारी माँ
जख बिराज मान चा भगवती काली माँ
जख बिराज मान चा भगवती काली माँ
जय हो नंदा देवी तेरी जय बोला
गढ़ कुमो की माता मेरी जय बोला
रूप कुंद पित्रू तर्पण दिए जांदु
रूप कुंद पित्रू तर्पण दिए जांदु
होम कुंद खाडू चौसिंघ पूजी जांदु
होम कुंद खाडू चौसिंघ पूजी जांदु
माता ९ दुर्गा की पुनि आरती पूजा देना
कैलाश की और चौसिंघ पाठी देना

Sunday, October 3, 2010

उत्तराखंड में बस सेवाएं स्थगित


गढ़वाल मोटर आनर्स यूनियन ने अपनी बस सेवा बरसात खत्म होने तक स्थगित कर दी है।

उत्तराखंड में पिछले पांच दशकों में सर्वाधिक वर्षा से हो रहे भूस्खलनों से अधिकांश मार्ग क्षतिग्रस्त हो गए है।

मार्ग ट्रटने के कारण गढ़वाल मण्डल में हजारों बसों का संचालन करने वाली गढ़वाल मोटर आनर्स यूनियन (जीएमओयू) ने अपनी बस सेवा बरसात खत्म होने तक स्थगित कर दी है। जिससे पहाड़ों में जीवन की गति थम सी गयी है। जीएमओयू ने यह निर्णय यात्रियों की सुरक्षा तथा सुविधा के तहत लिया है।

प्राप्त जानकारी के मुताबिक जीएमओयू ने आपदा से बचने के लिए बस सेवाएं बंद कर दी है। यूनियन के अधिकारियों के अनुसार सड़कें क्षतिग्रस्त होने से यात्रियों को जगह जगह पर दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

बसों का संचालन बन्द हो जाने से गढ़वाल के पौडी, चमोली और रूद्रप्रयाग जिलों में यातायात व्यवस्था पूरी तरह और टिहरी, उत्तरकाशी और देहरादून में आंशिक रूप से ठप्प हो गयी है।