Thursday, May 12, 2011

गढ़वाल अपणु और मूलक























चोट ता नी लगी पर फिर भी खे कन देखा
अपणु गढ़वाल और मूलक घूमी कन देखा
कुछ अपना मिलला कुछ बिरणा मिलला
सब तय अपना गो मूलक का बारे मा पूछी कन देखा
कुछ समजा कुछ वू तय समजे कन देखा
समाज की बात करा और समाज तय बने कन देखा
लड़ा छन जू दुनिया खुडी वू तय भी जरा देखा
अपनी तस्वीर खूद जरा झाखी कन ता देखा

उत्तराखण्ड गीत गढ़वाली गीत





















मेरी बेटुली मेरी लाड़ी लडयाली
मेरी चखुली मेरी फूलो की डाली ..२
आज स्य देखदे -द्खदा ,बिराणी हवे गे सैति-पाली..२
बाबा जी यकुली -यखुली कनु के की जोलु
हे माजी बीरण मुलुक कनु के की रोलु
अफु भी रोई मैती भी रुलेगे आज छके की
हेंस्दु- खेलदु घर सुन कैगे जिकुड़ी यो दुखे की
ख़ुद लगली भ्ये-ब्हेनो मैतियों की रोवए ना
उपरी मुल्क उपरी मनखीयो मा धीरज खोये ना
खूब फल -फूली मैतियों ना भूली ..२
मेरी आंखी यो की उजयाली
बिराणी ........ पाली
अपणु हवे की भी अपणु णी यो धन कन धन चा
याद ओदन तेरा खेल -खिलौना दिन बाला पन का
किल्क्वारी मारी ग्वाया लगाणु याद आणु चा
तुतले की तेरु बोलणु बचियाणु याद आणु चा
नवाई -तपाई गोल्याई हिटाई जिकुडा का काख सिवाली
बिराणी हवे गे सैति पाली
मुख ना लगी दाना सय्नो का प्रेम से रै ई
भल- बुरु जनु होलू भाग मा बेटी चुप सै लेई
अमर रया तेरु सुहाग ,सदनी सुखी सन्ति रै तू
द्वि घरो की छे लाज अपणु धर्म निभे तू
खूब फल -फूली मैतियों ना भूली ..२
मेरी आंखी यो की उजयाली
बिराणी ........ पाली

गढ़वाल कु ऑफिस संजय गढ़वाली





















ऑफिस – ऑफिस यू चा संजय गढ़वाली जी कु ऑफिस !
यो चा दागडियो मेरु – ऑफिस ??

कन – ऑफिस !
आफत चा भरी ऑफिस !
...हर जगह माँ खटपट चा ऑफिस !!

सुबर लेक उठण चला जी ऑफिस ,
खाणु ना पिणी सुबर शाम चला जी ऑफिस ,
सुबर बठे शाम तक फोन से परेसान छो ये ऑफिस !!

ऑफिस – ऑफिस यू चा संजय गढ़वाली जी कु ऑफिस !
यो चा दागडियो मेरु – ऑफिस ??

कन – ऑफिस !
मुश्किल चा भरी – ऑफिस !
हर जगह माँ झंझट चा दागडियो यू ऑफिस !!

पेंसो की माया चा यू ऑफिस ,

कभी कभी ता जू बोल्दु फास खे दिण छा ये ऑफिस ,

जब मी तय डांट लगदी ता जू बोल्दु की छट छोड़ी कन चल जान छो ऑफिस !!

ऑफिस – ऑफिस यू चा संजय गढ़वाली जी कु ऑफिस !
यो चा दागडियो मेरु – ऑफिस ??

कन – ऑफिस !
आफत चा भरी – ऑफिस !
सुबर बठे शाम तक खुला रेंदु यू ऑफिस !!

खुसर – फुसर गप्पी सप्पी लागदन ये ऑफिस ,
कई लोग ता इश्क भी लड़ादान ऑफिस ,

पेंसा का जाल माँ फस गयो दागडियो मी ये ऑफिस !!
ऑफिस – ऑफिस यू चा संजय गढ़वाली जी कु ऑफिस !
यो चा दागडियो मेरु – ऑफिस ??

उत्तराखण्ड दागडियो कु दिल





















याद तेरी अंदा ही यी जुकड़ी कबलाट जान होदु
यी जुकड़ी माँ कस पीड़ा होदी ता मोरन लगी जादु
अलग-२ ढंग से अलग-२ दिवाना छन जुकड़ी मा
अब दोष ना दे मी तय दागडिया बहुत कुछ रख्यु चा जुकड़ी मा
ये जुकड़ी कु वे गे यान डघचल मी ता ब्योला बनी गयो
नी रायेदु मी से अब यान हर साल मी ता बोयला बनी गयो