Saturday, December 25, 2010

उत्तराखंड: कभी खुशी कभी गम में बीता गुजरा साल

अपनी प्राकृतिक खूबसूरती और धार्मिक केन्द्रों के लिये पूरी दुनिया भर में मशहूर उत्तराखंड में गुजरा साल कभी खुशी और कभी गम के बीच बीता। जहां गुजरे वर्ष 2010 ने नन्हें उत्तराखंड की झोली में कई खुशियां डालीं वहीं कई सालों तक याद रखने वाली टीस भरा गम भी दे गया।

बीते साल की शुरूआती चार महीनों में उत्तराखंड में जहां दुनिया का सबसे बड़ा मेला महाकुंभ एक के बाद एक शाही स्नान को शानदार और शांतिपूर्वक सफल कराकर लाखों लोगों को राहत और खुशियां दे गया, वहीं आखिरी दिनों में राज्य में हुई प्रलयंकारी वर्षा, भूस्खलन और दुर्घटनाओं ने 200 से भी अधिक लोगों को मौत की नींद सुलाकर गहरा दर्द दे दिया।

बीते साल के 14 जनवरी से शुरू हुये महाकुंभ मेले में चार महीनों के दौरान आठ करोड़ 27 लाख 71 हजार लोगों ने गंगा में पूरी आस्था और शांति के साथ डुबकी लगाई। लेकिन सितम्बर और अक्टूबर महीने में राज्य में हुई वर्षा ने 140 सालों का रिकार्ड तोड़ते हुये 200 लोगों को मौत की नींद सुलाया, 600 से भी अधिक लोगों को घायल कर दिया तथा हजारों लोगों को बेघर होने पर मजबूर किया। इस हादसे से राज्य को बेहद गम का सामना करना पड़ा था।

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक के नेतृत्व में बीते साल दुनिया का पहला हिमनद प्राधिकरण गठित किया गया जो राज्य के 1500 से अधिक हिमनदों का अध्ययन करेगा। इस अध्ययन में दुनिया के कई विशेषज्ञ हिस्सा लेंगे। लेकिन उद्योगपतियों के लिये बीता साल उदासी लेकर आया जब केन्द्र सरकार ने मार्च में खत्म हुये विशेष औद्योगिक पैकेज की अवधि को बढ़ाने से इन्कार कर दिया। राज्य द्वारा कई बार अनुरोध किये जाने के बावजूद पैकेज राजनैतिक दांव पेंच के बीच फंस कर रह गया।

राज्य में तीन बड़ी बिजली परियोजनाओं का बंद होना भी उदासी का सबब बना। केन्द्र सरकार ने पर्यावरण रक्षा की दुहाई देते हुये 600 मेगावाट वाली लोहारीनागपाला परियोजना पर पांच अरब रूपये खर्च करने के बावजूद इसे बंद कर दिया। इसके साथ साथ राज्य सरकार की दो परियोजनाओं 480 मेगावाट वाली पाला मनेरी और 381 मेगावाट वाली भैरोंघाटी को भी बंद कर दिया। बिजली की संभावनायें समाप्त होने से लोगों को न केवल गम रहा बल्कि लोगों ने इसका पुरजोर विरोध भी किया।

केन्द्रीय योजना आयोग ने उत्तराखंड में बीते साल के दौरान घरेलू पर्यटकों की आमद में रिकार्ड बढ़ोत्तरी हासिल करने के लिये हिमालयी राज्यों में पहला स्थान प्रदान किया। राज्य में प्रलयंकारी वर्षा के बावजूद चार धाम मंदिरों में शामिल यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ में श्रद्धालुओं के कारण हुई रिकार्ड आमदनी ने जहां पर्वतीय लोगों के चेहरे पर मुस्कान बिखेरी वहीं प्राकतिक आपदा से त्रस्त उत्तराखंड ने भरपाई के लिये 21,000 हजार करोड़ रूपये की केन्द्र से मांग की लेकिन उसे मात्र 500 करोड़ रूपये मिलना मलाल का कारण बना। निशंक ने इस सिलसिले में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह तक से मुलाकात की लेकिन केन्द्र ने उन्हें गुजरे साल में खाली हाथ ही रखा। हालांकि निशंक अभी तक उम्मीद लगाये हुये हैं कि उन्हें राहत मिलेगी।

उत्तराखंड में गुजरे साल गंगा को प्रदूषण मुक्त करने के लिये स्पर्श गंगा परियोजना की शुरूआत की गयी और इसके लिये ड्रीम गर्ल के नाम से मशहूर अदाकारा हेमामालिनी को ब्रांड एम्बेसडर बनाया गया जो लोगों के लिये खुशी का कारण बना।

इसी तरह भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान महेन्द्र सिंह धोनी को बाघ संरक्षण के लिये उत्तराखंड ने वाइल्ड लाइफ वार्डेन बनाकर राज्यवासियों को एक नायाब तोहफा दिया। राज्य की राजधानी में स्थित भारतीय सैन्य अकादमी ने अपनी स्थापना काल से अब तक पचास हजार से अधिक सैन्य अधिकारी देने का आंकड़ा गुजरे साल के दौरान ही पूरा किया जिससे न केवली उत्तराखंड को बल्कि पूरे देश को इस अकादमी पर नाज हुआ। राज्य में पूरा साल कभी खुशी कभी गम के बीच बीता लेकिन पर्वतीय लोगों ने किसी भी स्थिति में अपनी कर्मठता नहीं छोड़ी।

Wednesday, December 22, 2010

UTTRAKHAND SANTA CLAUSE



देखो-देखो बरफ़ गिरी है
कितनी प्यारी मखमल सी है
बर्फ़ के गुड्डे मन को भायें
चलो सभी के संग बनायें
गोल-मोल से लगते प्यारे
गाजर नाक लगाये सारे
आया जो क्रिसमस का मौसम
घर बाहर को कर दें रोशन
राजू क्यों है आज उदास
आओ चल कर पूछें पास
मम्मी बोली उसकी अब के
होंगे नहीं क्रिसमस पे तोहफ़े
उसने मां को खू़ब सताया
इसीलिये ये दंड पाया
सैन्टा उनको तोहफ़ा देते
मम्मी का जो कहना सुनते
हम अच्छे बच्चे बन जायें
सुंदर-सुंदर तोहफ़े पायें