Sunday, June 13, 2010

योग गुरू बाबा रामदेव रोडवेज की बस में!

योग गुरू बाबा रामदेव रोडवेज की बस में!

योग गुरु बाबा रामदेव को रोडवेज की बस में सफर करते देखा तो मैं एक बार के लिए चौंक पड़ा। आप भी शायद चौंक गये होंगे कि देश भर के धार्मिक चैनलों से लेकर न्यूज एवं मनोरंजन चैनलों में हर वक्त छाए रहने वाले योग गुरु बाबा स्वामी रामदेव और रोडवेज की बस में ? अब क्या करें ? देश-विदेश में फैले पतंजलि योगपीठ तथा भारत स्वाभिमान संस्था के लिए उन्हें यह भी करना पड रहा है। अब यह मत सोचिए कि बाबा रामदेव व्यापक सुरक्षा तथा ताम-झाम और चेले-चपाटों के भारी भरकम लाव लश्कर के साथ उत्तराखंड रोडवेज परिवहन निगम की बस में यात्रा करने निकल पडे़ हैं। अरे यार, वह तो बतौर विज्ञापन होर्डिंग रोडवेज की बसों में हर रोज हजारों हजार किलोमीटर की दूरी तय कर एक जगह से दूसरी जगह पहुँच रहे हैं।

अपने देश में योग एवं प्राणायाम की गंगा बहाने वाले बाबा स्वामी रामदेव एकमात्र शख्स नहीं हैं। योग एवं प्राणायाम की विधा एवं परंपरा अनादिकाल से चली आ रही है। लेकिन इसको स्टेटस सिंबल की तरह बेहद हाई-फाई बनाने और उसे लोकप्रिय बनाने का कार्य जरूर बाबा जी ने किया है। यही नहीं, योग एवं प्राणायाम को विशुद्ध रूप से व्यावसायिक उद्योग का स्वरूप प्रदान करने का कार्य भी बाबा रामदेव ने कर दिखाया। अब आलम ये है कि गरीब से लेकर अमीर वर्ग का तबका सुबह-शाम बाबाजी के योग टिप्स अपनाने का अभ्यास करने लगा है। यह और बात है कि अमीर वर्ग के लोगों में योग एवं प्राणायाम शिविरों में जाना एक स्टेटस सिंबल बन गया हो। गरीबों को तो बाबाजी के शिविरों में प्रवेश ही नहीं मिल पाता है। मध्यम वर्ग के लोग अलबत्ता अपने घरों में टीवी के आगे दरी बिछाकर बाबाजी के बताए मार्ग का अनुसरण करने लगे हैं। योग एवं प्राणायाम क्रियाओं के दौरान बहुत ज्यादा बातें करना लाभदायक नहीं माना जाता, मगर बाबाजी तो बोलते ही उस समय हैं जब वह लोगों को योग एवं प्राणायाम की क्रियाओं की जानकारियाँ दे रहे होते हैं।

बाबा रामदेव जी ब्रह्म मुहूर्त में विभिन्न टीवी चैनलों के माध्यम से अपने योग पीठ एवं फार्मेसी में तैयार किए गए तेल, दंतमंजन, च्यवनप्राश, साबुन, क्रीम, पाउडर, चाय, बिस्कुट सहित नाना प्रकार की आयुर्वेदिक दवाएँ बेचने के अभियान के अलावा मल्टीनेशनल कंपनियों को सबक सिखाने का बीड़ा भी उठाए हुए हैं। यदि मल्टीनेशनल कंपनियों के उत्पाद देश में छाए रहे तो फिर बाबा जी की कम्पनी द्वारा उत्पादित किए जा रहे विभिन्न सामानों की बिक्री कैसे हो सकेगी। अब एक बानगी देखिए। बाबाजी के योग शिविर में विभिन्न रोगों से पीड़ित होने वाले रोगियों के ठीक होने की जानकारी टीवी के लाइव प्रसारण द्वारा दी जाती है। लेकिन यदि कोई बाबाजी से काउंटर प्रश्न पूछे तो उस पीड़ित को बोलने का मौका नहीं दिया जाता है। आखिर बाबाजी ने योग से असाध्य रोगों के ठीक होने का दावा जो किया है। ऐसे में बाबाजी की पोल खोलने वालों को उनका अपना टीवी चैनल कैसे और क्यों दिखाएगा ?

बाबाजी की कृपा से देश में अब तक उपेक्षित रही लौकी विशिष्ट स्थान पा चुकी है। लौकी के जूस को जिस तरह से उन्होंने हर मर्ज की एकमात्र दवा करार दिया है, वैसा आज तक कोई नहीं कर सका है। आँवले के अलावा ऐलोवेरा को भी बाबाजी ने नई मंजिल मुहैया कराई है। हम तो बाबाजी को एक ही सलाह दे सकते हैं कि अब आप राजनीति के अखाडे़ में तो उतर ही रहे हैं, उससे पहले वह लौकी व आँवले के जूस के अलावा ऐलोवेरा के जूस का पेंटेंट अवश्य करा लें। क्या पता लौकी, आँवले या ऐलोवेरा में से ही कोई एक चीज बाबाजी की पार्टी को बतौर चुनाव चिन्ह मिल जाए।

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