Wednesday, September 8, 2010

उत्तराखण्ड में आस्था और विश्वास के साथ मनाए जाने वाले नंदा देवी मेला महोत्सव की तैयारियां जोरों पर हैं।


मेले की तैयारी में सामाजिक और धार्मिक संगठनों सहित प्रशासन जोर-शोर से जुटा हुआ है।
एक सप्ताह तक चलने वाला यह महोत्सव 12 सितंबर से शुरू होकर 19 सितंबर को डोला भ्रमण के साथ संपन्न होगा ।
नैनीताल के जिलाधिकारी शैलेश बगौली ने बताया कि महोत्सव की तैयारियां जारी हैं। जिले के उप जिलाधिकारी अपने-अपने क्षेत्रों में चल रही तैयारियों का जायजा लेंगे।
अल्मोड़ा के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सीडी पंत ने बताया कि मेले में जुटने वाली भारी भीड़ के मद्देनजर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। उन्होंने बताया कि मेला स्थल के पास पुलिस नियंत्रण कक्ष स्थापित किया गया है।
पंत ने बताया कि अल्मोड़ा स्थित नंदा देवी मंदिर में मेले की शुरुआत राजा बाज बहादुर चंद (सन् 1638-78) के शासन काल से हुई थी और यह चंद वंश की परम्पराओं से संबंध रखता है।
पंत ने बताया कि नंदा-सुनंदा की मूर्तिं कदली वृक्ष के स्तम्भ से बनती है और पुरानी परम्पराओं के अनुसार नंदा-सुनंदा की पूजा के लिए काशीपुर के राजा अभी भी आकर पूजा की शुरुआत करते हैं।
उन्होंने बताया कि लगभग 80-90 टोलियां आकर यहां सांस्कृतिक कार्यक्रम पेश करती हैं। यहां की जगरिए और बैरियों की गायकी भी काफी प्रसिद् है।
मां नंदा की पूजा पूरे हिमालय क्षेत्र में होती है, लेकिन उत्तराखण्ड, खासतौर से कुमाऊं में इस मेले की बात कुछ अलग ही है। कुमाऊं की संस्कृति समझने के लिए यह मेला सबसे उपयुक्त पाठशाला हैं।
मां नंदा के सम्मान में कुमाऊं और गढ़वाल में अनेक स्थानों पर मेले लगते हैं। पर्वतवासी देवी नंदा को अपनी बहन-बेटी मानते आए हैं। नंदा की उपासना के प्रमाण धार्मिक ग्रंथों, उपनिषदों और पुराणों में भी मिलते हैं।
नंदा को नवदुर्गाओं में से एक माना जाता है। मेले की गतिविधि पंचमी से ही प्रारम्भ हो जाती है।
नैनीताल का प्रसिद् नंदा देवी मेला महोत्सव 12 सितंबर से शुरू होकर 19 सितंबर तक डोला भ्रमण के साथ संपन्न होगा। मेले का उद्घाटन 12 सितंबर को होगा। जिलाधिकारी 10 सितंबर को मेला क्षेत्र की व्यवस्थाओं का जायजा लेंगे ।
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