Wednesday, September 8, 2010

उत्तराखंड गढ़वाली बोली के प्रचार-प्रसार के लिए साहित्य अकादमी ने पौड़ी में एक सम्मेलन आयोजित किया।



सम्मेलन में गढ़वाली बोली के व्याकरण,विकास और संवर्धन पर विस्तार से चर्चा हुई।
रोज़गार की तलाश में पहाड़ का युवा लगातार दूसरे राज्यों का रुख कर रहा है,जिसका असर यहां की परंपराओं और भाषा पर भी पड़ा है। विस्थापन के दर्द के बीच पहाड़ की भाषा खत्म ना हो जाए इस चिंतन के साथ साहित्य अकादमी ने पौड़ी में एक सम्मेलन का आयोजन किया।
इस सम्मेलन में मुख्य अतिथि रहे गढ़वाल के सांसद श्री सतपाल महाराज ने कहा कि अब कोशिश गढ़वाली और कुमाऊंनी भाषा को आठवीं अनुसूची में दर्ज़ करवाने की है।

पहाड़ी संस्कृति और भाषा के स्वरुप में लगातार बदलाव आता जा रहा है। ऐसे दौर में भाषाई संरक्षण के लिए की गई साहित्य अकादमी की ये पहल वाकई सराहनीय है।

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