Friday, March 19, 2010

लछमन झूला ऋषिकेश

लछमन झूला ऋषिकेश



ऋषिकेश को हम तीन भागों में बांट सकते हैं। उसका कारण प्रशासकीय इकाई है, लेकिन इसको तीनभागों में विभक्त करने पर भी इसका धार्मिक अस्तित्व प्रभावित नहीं होता और ही पर्यटकीय महत्वकम होता है। ऋषिकेश का एक भाग देहरादून जिले में आता है और दूसरा टिहरी गढ़वाल में। ऋषिकेशका यह भाग `मुनी की रेती' के नाम से जाना जाता है, जो चन्द्रभागा नदी के पार वाला क्षेत्र है। राम झूलेके उस पार स्वर्गाश्रम, गीता भवन, परमार्थ निकेतन वाला क्षेत्र पौड़ी गढ़वाल के प्रशासन क्षेत्र में आता है।अनेक मंदिरों, मठों, आश्रमों का नगर ऋषिकेश एक प्रकार से ज्ञान-गंगा का प्रवाह है। गीता भवन वालाक्षेत्र तो आठों पहर भक्ति रस में डूबा रहता है। प्रवचनों, सत्संग के प्रति अगाध स्नेह रखने वाले भक्तों कासैलाब गंगा के उस पार देखा जा सकता है।




ऋषिकेश से 5 किलोमीटर आगे यह स्थान अवस्थित है। यहां एक झूला है, जो लोहे के मोटे रस्सों से बंधाहै। पुलनुमा यह झूला, गंगा के एक छोर से दूसरे छोर तक ले जाता है। पूर्व में यह झूला लक्ष्मण जी द्वारानिर्मित था। कालान्तर में अर्थात सन् 1939 में इसे नया स्वरूप दिया गया। लोहे के मजबूत रस्सों, एंगलों, चद्दरों आदि में बंधा कसा हुआ यह झूला (पुल) गंगा के प्रवाह से 70 फुट ऊंचा अवस्थित है। झूलेपुल) पर जब लोग चलते हैं तो यह झूलता हुआ प्रतीत होता है। (



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