
चोट ता नी लगी पर फिर भी खे कन देखा
अपणु गढ़वाल और मूलक घूमी कन देखा
कुछ अपना मिलला कुछ बिरणा मिलला
सब तय अपना गो मूलक का बारे मा पूछी कन देखा
कुछ समजा कुछ वू तय समजे कन देखा
समाज की बात करा और समाज तय बने कन देखा
लड़ा छन जू दुनिया खुडी वू तय भी जरा देखा
अपनी तस्वीर खूद जरा झाखी कन ता देखा
No comments:
Post a Comment