
तस्वीर कु रूप एक नी चा बहुत छन
सुख जे तय मिली जादू हसदा भी वु ही छन
सचाई जू भी हो काखी माँ नी छुप सकदी
झूट जू भी बोल्दु ता सच काखी ना काखी निकली ही जादी
जमना माँ खेल खिलनी मिन अभी तक याद छन
चोट भी बहुत खेन मिन जो का घाव अभी तक छन
यी जुकड़ी मा उलट फेर बहुत वेन कुछ नी सोची मिन
समय बहुत बलवान चा वे का अगने केकी भी चलदी नी देखी मिन
1 comment:
भैजी नमस्कार, भोत अच्छु लग इन्टरनेट पर अपडी गढवलि भाषा पैढिकी. जख ये जमन लोग अपरु गढवाल छ्वडना छी, अपरी बोली, भाषा, रीती रिवाज, अपरी सँस्क्रति बिसरणा छी। वखी आपकु यू प्रयास भोत अच्छु च।
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