Monday, April 18, 2011




तस्वीर कु रूप एक नी चा बहुत छन
सुख जे तय मिली जादू हसदा भी वु ही छन

सचाई जू भी हो काखी माँ नी छुप सकदी
झूट जू भी बोल्दु ता सच काखी ना काखी निकली ही जादी


जमना माँ खेल खिलनी मिन अभी तक याद छन
चोट भी बहुत खेन मिन जो का घाव अभी तक छन

यी जुकड़ी मा उलट फेर बहुत वेन कुछ नी सोची मिन
समय बहुत बलवान चा वे का अगने केकी भी चलदी नी देखी मिन

1 comment:

Unknown said...

भैजी नमस्कार, भोत अच्छु लग इन्टरनेट पर अपडी गढवलि भाषा पैढिकी. जख ये जमन लोग अपरु गढवाल छ्वडना छी, अपरी बोली, भाषा, रीती रिवाज, अपरी सँस्क्रति बिसरणा छी। वखी आपकु यू प्रयास भोत अच्छु च।