
“उत्तराखण्ड विषेश विकास प्राधिकरण” उत्तराखण्ड केलिए लम्बे समय तक काम करता रहा है। यदि यह कहा जाय कि आज का “उत्तराखण्ड प्रान्त विष” “उत्तराखण्ड विषेश विकास प्राधिकरण” की ही देन है तो कोई अतिषंयोक्ति नहीं होगी।
का पूर्णतयाः अभाव है। वहां वित्तीय नियोजन में दक्षता मायने रखती है। डॉ. निशंक के बेहतर वित्तीय प्रबन्धन को देखते हुए 13 वें वित्त आयोग ने उत्तराखण्ड को एक हजार करोड रूपये की राशि पुरस्कार स्वरूप प्रदान की है। यह अपने आप में एक मिसाल है। प्रदेश के कर्मचारियों के लिए छठे वेतनमान कि सिफारिशें लागू हुई जिसके कारण प्रदेश पर 2500 करोड का अतिरिक्त वित्तीय भार आया इसके बावजूद सरकार ने जनता पर कोई नया कर नहीं लगाया इसके विपरीत रोजमर्रा की उपभोग की सामग्री मसलन दही, सूजी, मैदा जैसी अनेकों दैनिक उपयोग की वस्तुओं पर वैट की दरें घटा दी ‘विजन 2020 का क्रियान्वयन‘ डॉ. निशंक सरकार का ड्रीम प्रोजेक्ट है। जिसमें तीर्थाटन, पर्यटन, आयुष, जडी-बूटी कृषिकरण गौ, गंगा व संस्कृति का संरक्षण, संस्कृत देवभाषा का उन्नयन, सूचना प्रौघोगिकी के विकास के साथ-साथ प्रदेश के अन्तिम छोर पर खडे व्यक्ति को सुखी, सम्पन्न व खुशहाल बनाने की शीर्ष प्राथमिकता है।
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