उत्तराखण्ड की महिला कु जीवन और दुःख चा पहाड़ की जीतना भी महिला छनचुला पर हो या घर कु काम हो खेती बाड़ी कु काम हो अपणु पूरा समय दिदान धुवा मा आंखी छान फूटनी पर मज़बूरी चा खाणु बनान कुछ यान भी छन जों अपना पूरा जीवन ये गढ़वाल मा ही काटी येली
पहाड़ की चेली ले, पहाड़ की ब्वारी ले
कैभे नि खाया द्वि रुवाटा, सुख ले
पहाड़ की चेली ले, पहाड़ की ब्वारी ले
राति उठी, पोश गाड़ना पानी ले भरी लियूना
बिना कलेवा रुवाटा, तिवीली जाण घास का मगना
बार बाजी तू घर आयी
सासू के गाली पायी
1 comment:
Bahut achi koshish h aapki garhwali sanskrit ke prachar ki
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